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Thursday, February 18, 2010

अगर तुम मिल जाते युहीं रोज 

तुम मिल जाते अगर राह चलते युहीं रोज,
पीछे से आकर थाम लेते तुमको रोज,
फिर हवा बन उर जाते,
अगर मुरकर देखते रोज.
पत्तियों की खरखराहट से राश्ते पर,
लगता जैसे ,हम आये तुमसे मिलने रोज.
हम अगर इस दुनिया से चले भी जाए,
तो भी हर मोड़ पर ,देखोगे मुझे रोज.
छुनछुन की आवाज़ से ,गूंजेगी तेरी फिजाए रोज,
जब जब पंछियों की कुहुकुहू सुनोगे रोज.
खुद जलकर करेंगे रोशन तेरी शमा रोज,
जब बुझेगी चिराग ,खुद को जलाया करेंगे रोज.
चुभेंगी जब मेरी यादें रोज,
पढ़ लेना मेरी कोई ग़ज़ल रोज.
झुकने लगेंगी नजरें,रोना चाहेंगी अगर रोज,
चुपकेसे बिठा लेना पलकों पे मुझे रोज.
रिमझिम बरसें  बुँदे, जब तेरे चेहरें पर रोज,
नंगे पाँव चलकर,आयेंगे तुमसे मिलने रोज.

1 comment:

Anonymous said...

Îmi place exact cum veti primi nivel de-a lungul